Saturday, April 13, 2019

MAHPHIL-E-HASRAT


💞ख्वाबो की सजी थी महफिल पर हसरत नीलाम हो गई

​​तुने क्या देखा मुझे इक नज़र मेरी रुह भी तेरी गुलाम हो गई...

Sayari


कितनी झूठी कसमें खाते हैं लोग तेरी

ऐ खुदा! ये बता तू अभी तक जिंदा कैसे है?

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